समझौते को पाक के लिए भविष्य में भारत की किसी भी सैन्य कार्रवाई के विरुद्ध एक कवच के रूप में देखा जा रहा
रियाद / इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खिलाफ भारत की संक्षिप्त सैन्य कार्रवाई के कुछ महीनों बाद ही पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ रक्षा साझीदारी के एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसमें एक देश पर हुए हमले को दोनों देशों पर आक्रमण माना जाएगा।
अमेरिका के नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की तर्ज पर इस समझौते को पाकिस्तान के लिए भविष्य में भारत की किसी भी सैन्य कार्रवाई के विरुद्ध एक कवच के रूप में देखा जा रहा है। बुधवार देर रात इस समझौते प रहस्ताक्षर किए गये। कूटनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि ये समझौता अमेरिका की सहमति से ही संपन्न हुआ है।
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इसे ऑपरेशन सिन्दूर की प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि सऊदी अरब के अधिकारियों का कहना है कि यह किसी विशिष्ट देश या घटना विशेष की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और गहन सहयोग का परिणाम है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक समझौते में स्पष्ट है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आक्रमण को दोनों देशो के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा।
सऊदी मीडिया की रिपोर्टों में भी कहा गया है कि समझौते के अनुसार किसी भी देश के खिलाफ हुए किसी भी आक्रमण को दोनों देशो के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच यह नवीन रक्षा संबंध ऐसे समय में सामने आए हैं जब खाड़ी के अरब देश सुरक्षा गारंटर के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता को लेकर चिंतित हो रहे हैं ।
इस बीच यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान अब सऊदी अरब को परमाणु सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाध्य होगा, एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने बताया यह एक व्यापक रक्षात्मक समझौता है जिसमें सभी सैन्य साधन शामिल हैं।
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